Dedication, Hard work and will power
बात करे तो रितेश अग्रवाल के पास किराया देने के भी पैसे नहीं होते थे परन्तु मन में कुछ कर गुजरने के जज्बे ने उन्हें 400 करोड़ का मालिक बना दिया। पर उनका यह सफर आसान न था । तो जानिये कैसे रितेश अग्रवाल 21 वर्ष की उम्र में OYO ROOMS के सीईओ बन बैठे। दोस्तों हम सब जानते है कि बिज़नेस करना सबके बस कि बात नहीं है। परन्तु रितेश के रोम रोम में कुछ करने की चाह ने उन्हें सफल बिज़नेस मैन बना दिया। रितेश का जन्म 16 नवंबर 1993 को ओडिशा के मध्य- वर्गीय परिवार में हुआ था। माता पिता चाहते थे कि वह अपनी पढाई पूरी करके इंजीनियर बने।परन्तु वे अपनी लाइफ में कुछ अलग करना चाहते थे। वे बचपन से ही बिल गेट्स, स्टीव जॉब्स और मार्क जुगरबर्ग से बहुत प्रेरित थे। रितेश ने ओडिशा के sacred heart school से अपनी पढ़ाई पूरी और आगे कि पढ़ाई के लिए दिल्ली के इंडियन School of Business and Finance में admission लिया परन्तु पढ़ाई में मन न होने के कारण उन्होंने कॉलेज बीच में ही छोड़ दिया।
किस तरह बने यंगेस CEO
रितेश अग्रवाल आज इंडिया के youngest और सफल CEO है। बता दें कि रितेश को ट्रैवेलिंग का बहुत शोक था। उन्हें नई नई जगहों पर घूमने बेहद पसंद था । परन्तु ट्रेवलिंग के दोहरान उन्हें ठहरने संबंधित कई समस्याओं का सामना करना पड़ता था। वही से उन्होंने सस्ते दामों पर लोगों को रूम उपलब्ध करवाने की सोची। उन्होंने केवल सोचा ही नहीं बल्कि ऑरवेल स्टेज नाम की एक कंपनी खोली जिससे लोग आसानी से सस्ते रूम बुक कर सकते थे। 2013 में उन्होंने अपनी कम्पनी का नाम oyo rooms रख दिया। जिसमें कम दामों पर सस्ते रूम के साथ साथ customers की हर एक सुख सुविधा का ध्यान रखा जाता है।
कई होटल्स के साथ टाईअप
धीरे धीरे अपने बिज़नेस में कड़ी मेहनत से उन्होंने अपनी कंपनी को सफलता के शिखर तक पंहुचा दिया।कहते है न कि दिल में जब किसी चीज़ को करने का जज्बा हो तो पूरी कायनात उसे पूरा करने में लग जाती है उसी तरह रितेश अग्रवाल ने भी सभी परेशानियों को लांघते हुए आपने सपने को पूरा किया। आज रितेश अग्रवाल किसी पहचान के मोहताज़ नहीं है। अपने बिज़नेस को न केवल हिंदुस्तान में बल्कि फॉरेन में भी कई कम्पनीज के साथ टाईअप किया
किराया न होने पर गुजारी सीढ़ियों पर रातें
दोस्तों कोई भी व्यक्ति इतनी जल्दी से और आसानी से कामयाबी हासिल नहीं कर पाता। उसके पीछे बहुत से दुःख भरे राज छिपे होते है। जिस से हम सबको प्रेरणा लेनी चाहिए। रितेश अग्रवाल की ज़िन्दगी में भी बहुत से ऐसे पहलु है। वो मध्य- वर्गीय परिवार से होने की वजह से उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि वो अपने रूम का किराया दें सके इसलिए कई बार किराया समय पर न दें पाने के कारण उन्हें सीढ़ियों पर ही रात गुजारनी पड़ती
कोडिंग के माहिर- रितेश अग्रवाल
जिस उम्र में बच्चे कंप्यूटर में गेम खेलते है उसी उम्र में उनका दिमाग किसी बड़े मुकाम के सपने बुनने में लगा हुआ था। रितेश 8 वर्ष की आयु में कोडिंग आदि कर देते थे और टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ़ फंडामेंटल रिसर्च में आयोजित एशियाई साइंस कैंप के लिए भी चुने गए थे
आईडिया के दम पर मिला करोड़ो का फण्ड
रितेश का मुख्य उद्देश्य लोगों को सस्ते एवं पूरी सुख सुविधा से भरपूर रूम उपलब्ध करवाना था। Oyo rooms में सभी सुख सुविधा उपलब्ध करवाई गई और कंपनी के लिए कुछ मानकों को भी निर्धारित किया गया। आईडिया अच्छा होने के कारण लाइटस्पीड वेंचर पार्टनर्स और डी स जी कन्ज्यूमर पार्टनर्स, सिंगापुर की तरफ से बिज़नेस को बढ़ाने के लिए उन्हें करोड़ो का फण्ड मिला। इस तरह दमदार आईडिया के बल पर 4 करोड़ का फण्ड मिलने के बाद कई और फ़ंडिंग्स मिली और देखते ही देखे आज Oyo रूम्स की वैल्यूएशन 4000 करोड़ से भी ऊपर है। किसी कॉलेज स्टूडेंट की तरह दिखने वाले रितेश अग्रवाल का नाम यंगेस्ट बिजनेसमैन में सबसे पहले लिया जाता है। Oyo rooms नाम की कंपनी के होटल्स कई देशों में सस्ती कीमतों पर उपलध है। मेहनत ,लगन और दमदार आईडिया के बल पर उन्होंने अपनी कंपनी को ऊँचे मुकाम पर पहुंचाया। 21 साल की उम्र में इतनी बड़ी कंपनी का फाउंडर बनना अपने आप में एक मिसाल है। दोस्तों हर दिन लाखों लोग कुछ नया करने की सोचते है और कामयाब वही होते है जो बिना किसी की सुने अपने मुकाम को पाने का यतन करते रहते है। रितेश अग्रवाल नौजवान पीढ़ी के लिए एक मिसाल है।\